बुलंदशहर, अक्टूबर 8 -- मध्यकाल में भारतीय नारी को दयनीय दशा से मुक्त कर समाज का आवश्यक अंग बनाने में स्वामी दयानंद सरस्वती के अतुल्य योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। स्त्री शिक्षा को आवश्यक बताते हुए उन्होंने बाल विवाह, पर्दा प्रथा, सती प्रथा, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों का अंत कर विधवा पुनर्विवाह, वेदों के पठन पाठन, महिला गुरुकुल व कॉलेज स्थापना हेतु जनजागरण अभियान चलाकर भारत की आधी आबादी को चारदीवारी से मुक्तकर नई दिशा दी। उक्त विचार अपने उद्बोधन के माध्यम से पूर्व डिबाई विधायक डॉ अनीता लोधी ने महर्षि दयानंद आर्ष गुरुकुल राजघाट के 32वें वार्षिकोत्सव और स्वामी दयानंद की 150वे जयंती वर्ष में आयोजित उत्सव में व्यक्त किए। डॉ लोधी ने कहा आर्य समाज परिवार में मेरा विवाह होने के कारण आर्य समाज मेरी रग रग में बसा है। इससे पूर्व गुरुकुल प्रब...
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