नई दिल्ली, मई 13 -- Narada Jayanti: श्रीमद्भगवद् गीता के दशम अध्याय में श्रीकृष्ण कहते हैं- अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद:। -"मैं समस्त वृक्षों में पीपल (अश्वत्थ) हूं, और देवर्षियों में नारद हूं।" ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार नारद मुनि का जन्म ब्रह्माजी के कंठ से ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ। भक्ति मार्ग के प्रणेता नारदजी ने दक्ष प्रजापति के दस हजार पुत्रों को संसार से निवृत्ति की शिक्षा दी। इससे क्रुद्ध होकर दक्ष प्रजापति ने नारद को शाप दिया कि वह दो घड़ी से ज्यादा कहीं टिक नहीं पाएंगे, इसलिए वे तीनों लोकों में हमेशा विचरण करते रहते हैं। ब्रह्माजी भी दक्ष प्रजापति के पुत्रों को सृष्टिमार्ग पर अग्रसर करना चाहते थे, लेकिन नारदजी ने दक्ष प्रजापति के पुत्रों को संन्यास मार्ग की ओर प्रेरित किया। इससे क्रोधित हो...