प्रयागराज, सितम्बर 21 -- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत दाखिल भरण-पोषण की याचिका को नाम में टाइपिंग की गलती जैसे मामूली तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट का आदेश केवल नाबालिग के अभिभावक का नाम टाइप करने में की गई तकनीकी गलती पर आधारित है, जहां मां के वास्तविक नाम की बजाय एक गलत नाम का इस्तेमाल किया गया था। इसी के साथ न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र शर्मा ने परिवार न्यायालय मुजफ्फरनगर के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें पत्नी व नाबालिग बेटे की भरण-पोषण याचिका केवल इसलिए खारिज कर दी गई थी कि बच्चे के अभिभावक के रूप में मां का नाम गलत दर्ज हो गया था। कोर्ट ने मामले को दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर नए सिरे से आदेश करने के निर्द...