नई दिल्ली, मई 24 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नाबालिग से यौन उत्पीड़न के आरोपी को अग्रिम देते हुए कहा कि लड़की ने विरोधाभासी बयान दिए हैं। न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा की पीठ ने कहा कि फोरेंसिक साक्ष्य भी नाबालिग लड़की के बयान का समर्थन नहीं करते। ---- फोरेंसिक जांच में नहीं मिला डीएनए ये कथित घटना वर्ष 2023 में हुई थी। घटना के समय लड़की दस वर्ष की थी। अदालत ने कहा कि इस स्थिति में की गई कोई भी टिप्पणी मुकदमे को प्रभावित कर सकती है। अदालत ने कहा कि आरोपी पहले ही जांच में शामिल हो चुका है। अदालत ने आदेश में कहा कि लड़की के नमूने फोरेंसिक जांच के लिए भेजे गए थे, लेकिन परिणामों के अनुसार साक्ष्यों में पुरुष का डीएनए नहीं पाया गया। ------ शुरुआत में पिता पर लगाए थे आरोप आरोपी व्यक्ति के अधिवक्ता ने कहा कि उसका नाम प...