नई दिल्ली, सितम्बर 22 -- सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि 'किसी नाबालिग लड़की के महज निजी अंगों को छूना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) या यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) के तहत दुष्कर्म का अपराध नहीं माना जाएगा।' अदालत ने साफ किया है कि इस तरह का कृत्य पॉक्सो एक्ट के तहत 'गंभीर यौन हमला' के अपराध के साथ-साथ आईपीसी की धारा 354 के तहत 'महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने' के अपराध के समान होगा। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ लक्ष्मण जांगड़े की अपील का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता जांगड़े को आईपीसी की धारा 376एबी और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 20 साल की कैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि...