प्रयागराज, मार्च 6 -- प्रयागराज, संवाददाता। हिन्दुस्तानी एकेडेमी के गांधी सभागार में डॉ. कन्हैया सिंह की स्मृति में चल रहे पांच दिवसीय साहित्य कुम्भ के चौथे दिन 'हिन्दी साहित्य की विविध विधाएं : एक विमर्श विषय पर साहित्यकारों के बीच चर्चा हुई। दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के डॉ. नरेंद्र कुमार ने नाटक विधा पर बोलते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी की उन्नति और तकनीक ने नाटक की संवेदना पर नकारात्मक प्रभाव डाला है। अब नाटक के लिए दर्शकों को इकट्ठा करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्रो. नीरज खरे ने कहानियों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिंदी नवजागरण और आधुनिकता की चेतना को हिंदी कहानी ने आत्मसात किया है। बीएचयू के प्रो. प्रभाकर सिंह ने कहा कि यह विधाओं के टूटने का दौर है। दूसरा सत्र 'हिंदी आलोचना: एक विमर्श विषय पर केंद्रित रहा। डॉ. शिव...
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