वाराणसी, मार्च 8 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। 'गौरा के हरदी लगावा, गोरी के सुंदर बनावा...,'सुकुमारी गौरा कइसे कैलास चढ़िहें...,'गौरा गोदी में लेके गणेश विदा होइ हैं ससुरारी... आदि मंगल गीतों से टेढ़ीनीम स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत का आवास गूंजता रहा। अवसर था गौरा के गौने के उपलक्ष्य में शुक्रवार को गौरा की हल्दी की रस्म का। गौरा के गौना से जुड़ी लोकपरंपरा का निर्वाह इस बार जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने किया। नीलांचल (असोम) के कामाख्या शक्तिपीठ से आयी हल्दी लेकर नागा सन्यासी सावन भारती, पूरन भारती, पितांबर भारती, रवींद्र भारती के सयुंक्त नेतृत्व में साधु-संतों का दल हनुमान घाट स्थित जूना अखाड़ा से डमरू निनाद, शंख ध्वनि के बीच हरहर महादेव का उदघोष करते हुए निकला। शोभायात्रा के रूप में साधु-संतों और गृहस्थ भक्तों का समूह पूर्व मह...