महाराजगंज, अप्रैल 22 -- महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। गेहूं की कटाई के बाद महराजगंज जिले के किसानों ने इस साल भी ठंठल जलाना शुरू कर दिया है। गेहूं का डंठल जलाये जाने से कृषि वैज्ञानिक चिन्तित हैं। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि गेहूं का डंठल जलाने से खरीफ सीजन में किसानों को भारी नुक्सान उठाना पड़ सकता है। कृषि विज्ञान केन्द्र बसुली के विभागाध्यक्ष डॉ. डीपी सिंह, डॉ. शिपपूजन यादव ने बताया कि भूमि में कई करोड़ों का जैव उर्वरक राई जोवियम, अजोटो बैक्टर, एजो स्पाई रिलियम, ब्लू ग्रीन एल्गी तथा फास्फोरस विलायक जीवाणु खेतों में नाईट्रोजन को स्थिरीकरण करते हैं। कृषि अवशेष फास्फोरस को घुलनशील बनाकर पौधों को उपलब्ध कराते हैं। पर खेतों में गेहूं का डंठल जलाने पर सभी जलकर नष्ट हो जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त लाभदायक जैविक फफूंदी नाशी- ट्राईकोडर्मा बबेरिया...