घाटशिला, जनवरी 31 -- कालचित्ति पंचायत के रामचन्द्रपुर सबर बस्ती में रहने वाले लोग लगातार नाशपान की जद में आने और अशिशा की मार झेलने के कारण नारकीय जीवन जीने को विवश हैं। समाज के अंतिम व्यक्ति कहे जाने वाले आदिमजनजाती के सबरो के विकास के लिए सरकार द्वारा हर साल करोड़ो रुपया देने की बात कही जाती है, लेकिन सुविधा के नाम पर इन सबरों को सिर्फ राशन और कुछ को पेंशन ही नसीब होता है। रोजगार के नाम पर सबर जाती के लोग जंगल से लकड़ी लाकर जो बेचते है, और उससे आय होती है, उसी से परिवार चलता है। लेकिन लगातार बढ़ती मंहगाई के कारण इससे इनका गुजारा नही होता, जिसके कारण इनका लगातार पलायन हो रहा है। लेकिन इसे रोकने को लेकर सरकार की ओर से कोई पहल नही होती है। दूसरी ओर अशिक्षा के आभाव में ये दिन दुनिया से हमेशा दूर रहने का प्रयास करते है, साथ ही सही पोषण युक्त...
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