चतरा, सितम्बर 23 -- इटखोरी, प्रतिनिधि। नवरात्र के दूसरे दिन मंगलवार को माता दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा की गयी। दुर्गा के दुशरे रूप ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की बखान करते हुए मन्दिर के प्रधान पुजारी नागेश्वर तिवारी ने कहा कि ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी है। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है। यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं। मुख पर कठोर तपस्या के कारण तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर कर रहा है। यह स्वरूप श्वेत वस्त्र पहने दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमंडल लिए हुए सुशोभित है। ब्रह्मचारिणी देवी के कई अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा। कहा जाता है कि देवी ब्रह्मचारि...