दुमका, सितम्बर 25 -- दुमका, प्रतिनिधि। नवरात्र के तृतीय तिथि को मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रधंटा की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की गई। मां के इस स्वरूप की अराधना भक्तों के लिए फलदायी होती हैं। मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्धचन्द्र हैं। इसी कारण इनहें चंद्रधंटा कहा जाता हैं। इनका स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला होता हैं। इनकी पूजा से भक्तों के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। मां का यह स्वरूप मरम शांतिदायक और कल्याणकारी हैं। मां के तीसरे स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व हैं। ऐसी मान्यता हैं कि मां चंद्रघंटा देवी की पूजा करने से लोगों में तेज और प्रताप में वृद्धि होती हैं और समाज में आपका प्रभाव बढ़ता हैं। देवी का यह रूप आत्मविश्वास में वृद्धि प्रदान करने वाला माना गया हैं। दुमका शहर के यज्ञ मैदान, बाबुपाड़ा, न्यूबाबुपाड़ा...