गया, नवम्बर 25 -- आज की पीढ़ी को चकाचौंध की जिंदगी पसंद है। घर में रोटी कमाने के बजाए बाहर जाकर मजदूरी करना ज्यादा अच्छा लग रहा है। पुश्तैनी काम को छोड़कर कारखानों में मजदूर का काम करना ठीक लग रहा है। ऐसी स्थिति में अपने यहां चाहे थोक बाजार हो प्रतिष्ठान कामगार मजदूरों की कमी हो गयी है। मगध की थोक किराना मंडी में इन दिनों से पोलदारों की भारी कमी है। इसके पीछे कुछ अस्थायी तो ठोस कारण स्थायी हैं। नयी पीढ़ी थोक किराना मंडी पुरानी गोदाम में काम करना नहीं चाहती। वर्तमान में जो अधेड़ या वृद्ध काम कर रहे हैं उनके समय के 50 फीसदी लोग दुनिया को अलविदा कर चुके हैं। स्थिति है मंडी में पोलदार या मजदूरों की संख्या में 50 फीसदी से अधिक कमी आ गई है। एक समय में गोदाम में 4000 से अधिक पोलदार थे और आज यह संख्या 2000 तक पहुंच गई। स्थिति यह है कि थोक दुकानदारों ...
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