हजारीबाग, जून 2 -- हजारीबाग। प्रियंका मिश्रा एक युवा कवयित्री हैं। उन्होंने अपनी प्रस्तुति से युवाओं के साथ वरिष्ठ युवाओं का भी मन मोह लिया। आत्म विश्वास से लबरेज कविता मिश्रा ने मुक्तक से अपनी कविता पाठ की शुरूआत की। उन्होंने मां शारदे की वंदना की। उन्होंने कहा नारियों की महत्ता का बखान किया। उन्होंने कहा कि नया आयाम बन जाए नयी पहचान बन जाए, मैं हिंदुस्तान का ध्वज हूं दुनिया में, जो कृष्णा आप बन जाएं तो मैं मुरली तान बन जाऊं। उन्होंने कहा जब प्रेम अत्यधिक हो जाता है तब वह आध्यात्म का रूप हो जाता है। फरमाया- वृंदावन की कुंज गली में घूम रहे थे हम दोनों, पक्षी बन झूम रहे थे हम दोनों...। उन्होंने मां को संबोधित करते हुए कहा कि मां तो ऐसी होती है कि हमारा दिल टूटने पर इतना दुख नहीं होता जितना उन्हें कप का हैंडल टूटने से होता हैं। नवोदित कवियो...