किशनगंज, अक्टूबर 11 -- बहादुरगंज। निज संवाददाता नब्बे दशक तक चुनाव प्रचार सीमित संसाधनों पर के्द्रिरत था। चुनाव में खड़े प्रत्याशी ध्वनि विस्तारक यंत्र के साथ नुक्कड़ सभा को विशेष तवज्जो देते थे। प्रत्याशी मतदाताओं तक पहुंचने के लिए गांव में किसी खास व्यक्ति के बैठक में पहुंचकर मतदाताओं को जुटाकर राजनीतिक समीकरण बनाते थे और रात होने पर किसी समर्थक के आवास पर भोजन की व्यवस्था कर प्रवास करने में रुचि लेते थे। कुल मिलाकर नब्बे दशक तक चुनाव में खड़े प्रत्याशी ग्राउंड लेवल पर पहुंचकर मतदाताओं को तवज्जो देकर मतदाताओं से सीधा संवाद कर मतदाताओं की शंका और आशंका का समाधान करते थे। कलांतर का चुनाव शोरगुल से दूर सत्ताधारी और विपक्षी दो ध्रुवों से जुड़े पार्टी बेस वोटरों के समीकरण के तौर पर के्द्रिरत रहता था। उस वक्त पार्टी के नेता और कार्यकर्ता निजी टिक...