लखनऊ, सितम्बर 12 -- लखनऊ का नगर निगम सदन में जहां जनता की समस्याओं की गूंज सुनाई देनी चाहिए थी, वहां महिलाओं की आवाज को बेरहमी से दबाया जा रहा है। यह स्थिति तब और भी हैरान करने वाली है जब सदन की अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही महिला हैं। अध्यक्ष यानी महापौर सुषमा खर्कवाल हैं और उपाध्यक्ष श्रीमती चरनजीत गांधी हैं। इसके बावजूद महिला पार्षदों को अपनी बात रखने तक का मौका नहीं दिया गया। 4 और 9 सितंबर को हुई दो दिन की बैठकें इस कड़वी हकीकत की गवाह बनीं। 4 सितंबर को जिन महिला पार्षदों ने अपने वार्ड की समस्याएं उठाई थीं, उन्हें अब तक कोई जवाब ही नहीं मिला। 9 सितंबर को तो हालात इतने खराब रहे कि महिलाओं को बोलने ही नहीं दिया गया। जो पार्षद खड़ी हुईं, उन्हें बार-बार बैठा दिया गया। कभी महापौर ने खुद उन्हें रोक दिया तो कभी पुरुष पार्षदों के शोरगुल ने उन...