मुंगेर, सितम्बर 7 -- धरहरा, प्रवीण कुमार। धरहरा प्रखंड का पैसरा गांव, जहां कभी नक्सलियों के बंदूकों की गरज से लोग सहमें रहते थे, अब पक्षियों की मधुर चहचहाहट से आबाद है। नक्सलियों का गढ़ रहा, यह इलाका आज वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में पहचान पा रहा है। सरकार के इस फैसले से ग्रामीणों में उत्साह है। इलाके में इको टूरिज्म की नई उम्मीद जगी है। पैसरा गांव के पास स्थित घने जंगल में पहले नक्सलियों का कैंप हुआ करता था। ग्रामीण शाम ढलते ही घरों में कैद हो जाते थे। गांव में सन्नाटा पसर जाता था। लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। उसी स्थल पर आज सीआरपीएफ का कैंप है और पूरे इलाके में शांति का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले जहां बंदूकों की आवाजें गूंजती थी, अब सीआरपीएफ कैंप होने से पक्षियों की चहचहाहट से सबेरा होता है। अमन-चैन का वातावरण बना है। ...
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