नई दिल्ली, नवम्बर 6 -- बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अगर हर व्यक्ति 18 वर्ष की उम्र पूरी करते ही मतदाता सूची में नाम जुड़वाने का आवेदन करने लगे, तो इससे अधिकारियों पर सत्यापन (वेरिफिकेशन) का बहुत अधिक बोझ पड़ जाएगा और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। न्यायमूर्ति रियाज चागला और न्यायमूर्ति फरहान दुबाश की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मतदान की स्वतंत्रता और मतदान के अधिकार में अंतर है। अदालत ने कहा कि जब आप 18 वर्ष के हो जाते हैं, तो आपको वोट देने की स्वतंत्रता मिल जाती है, लेकिन यह अधिकार तभी मिलता है जब प्राधिकारी मतदाता सूची में संशोधन करते हैं। अदालत ने कहा कि जब भी मतदाता सूची में संशोधन किया जाएगा तो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके लोगों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। अदालत ने निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी ...