दरभंगा, सितम्बर 1 -- दरभंगा राजे-महाराजों का शहर रहा है और म्युनिसिपल की व्यवस्था ब्रिटिश दौर से मौजूद है। जानकार बताते हैं कि नगरपालिका के दौर में शहर में दो पशु फाटक संचालित होते थे जहां नगरपालिका कर्मी आवारा पशुओं को पकड़कर रखते थे। सुरेश कुमार, कमल झा आदि बताते हैं कि उस समय शहर आवारा पशुओं से मुक्त था। उन्होंने बताया कि फाटक व्यवस्था के चलते पशुपालक सतर्क रहते थे, पर बंद होने के बाद बेफिक्र हो गए हैं। सुबह-शाम दूध निकालने के बाद पशुओं को छोड़ देते हैं। इससे उन्हें बिना चारा खिलाए आमदनी हो रही है। वहीं, कादिराबाद और लहेरियासराय के जीएन गंज का पशु फाटक स्थल अतिक्रमित है। उन्होंने बताया कि निगम की बैठकों में पशु फाटक स्थल खाली कराने की बात होती है, पर कुछ नहीं होता। इसके चलते सड़क व मोहल्लों में समस्या उत्पन्न हो रही है।

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