सिद्धार्थ, अप्रैल 26 -- भनवापुर, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के सिकटा गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार की रात कथावाचक कनकेश्वरी देवी ने ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई। कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। उन्होंने कहा कि एक बार राजा उत्तानपाद सिंहासन पर बैठे हुए थे। ध्रुव भी खेलते हुए राजमहल में पहुंच गए। उस समय उनकी अवस्था पांच वर्ष की थी। उत्तम राजा उत्तनपाद की गोदी में बैठा हुआ था। ध्रुव भी राजा की गोदी में चढ़ने का प्रयास करने लगे। सुरुचि को अपने सौभाग्य का इतना अभिमान था कि उसने ध्रुव को डांटा कि गोद में चढ़ने का तेरा अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि यह डांट सुनाते हुए कहा कि अगर इस गोद में चढ़ना है तो पहले भगवान का भजन करके इस शरीर का त्याग कर और फिर मेरे गर्भ से जन्म लेकर मेरा पुत्र बन। ध्रुव रोते हुए अपनी मां के पास आए...
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