कन्नौज, मार्च 19 -- तिर्वा, संवाददाता। सिद्धपीठ बाबा दौलेश्वर धाम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य ने धु्रव चरित्र की कथा का वर्णन किया। ध्रुव चरित्र की कथा सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य अम्बरीश शुक्ल ने ध्रुव चरित्र की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि राजा उत्तानपाद के के कोई संतान नहीं थी। रानी सुनीति के परामर्श से उन्होने दूसरी शादी कर ली। दूसरी रानी सुरुचि ने राजमहल में आते ही रानी सुनीति को महल से बाहर निकाल दिया। समय के चक्र के चलते दोनो रानियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। रानी सुनीत के पुत्र का नाम ध्रुव व सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम रखा गया। एक दिन ध्रुव खेलते खेलते रामदरबार पहुंच गए। जहां राजा उत्तनपाद ने उसको अपने सिंहासन पर बैठा लिया। इसपर रानी सुरुचि ने उसको अपमान...