कन्नौज, नवम्बर 28 -- तालग्राम, संवाददाता। प्राचीन भारतीय साहित्य में वर्णित ध्रुव चरित्र आज भी दृढ़ संकल्प और अटूट विश्वास का श्रेष्ठ उदाहरण माना जाता है। निकवा गांव में ग्रामवासियों के सहयोग से चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन मैनपुरी से आए आचार्य पंडित सनोज माधव ने ध्रुव कथा का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो उठे। आचार्य ने बताया कि राजा उत्तानपाद के छोटे पुत्र ध्रुव को सौतेली माता सुरूचि के अपमानजनक वचनों ने गहराई से आहत किया। दुखी ध्रुव ने संकल्प लिया कि वे ऐसा स्थान प्राप्त करेंगे जो किसी भी सांसारिक ऐश्वर्य से ऊपर और स्थायी हो। इसी दृढ़ निश्चय के साथ वे बाल्यावस्था में ही वन में तपस्या के लिए निकल पड़े। ऋषि नारद के मार्गदर्शन में ध्रुव ने कठोर साधना की। मासों तक धीरज, भक्ति और अटूट निष्ठा के साथ तप करते हुए अंततः भगव...