गोड्डा, फरवरी 27 -- मेहरमा। आर्य समाज मंदिर चपरी में बुधवार को आर्य समाज के संस्थापक, सत्यार्थ प्रकाश के लेखक,वेदों के पुनरुद्धारक, स्वधर्म स्वभाव, महान समाज सुधारक और संस्कृत के अग्रदूत ऋषि दयानंद सरस्वती का बोध(ज्ञान) दिवस धूमधाम से मनाया गया।इस दौरान हवन यज्ञ के साथ ओउम् का ध्वजारोहण किया गया। वैदिक पुरोहित विद्यानिधि आर्य ने कहा कि गुजरात के पावन भूमि टंकारा गांव में 12 फरवरी 1824 को दयानंद सरस्वती का जन्म हुआ था। उनके बचपन का नाम मूल शंकर था। 14 वर्ष की उम्र में बालक मूल शंकर ने शिवरात्रि का व्रत धारण कर भगवान शंकर के दर्शन की जिज्ञासा को लेकर रात्रि जागरण किया था। शिव मंदिर में रात्रि जागरण में जब बालक ने शिवलिंग पर चूहे को चढ़ा हुआ और प्रसाद खाते देखा, तो बालक के मन में शंका हुई कि सुना है जो भगवान समस्त विश्व की रक्षा करते हैं, वह...