गोड्डा, अक्टूबर 20 -- मेहरमा, एक संवाददाता। ज्ञान से बढ़कर मनुष्य को पवित्र करने वाला कोई भी साधन नहीं है। आर्य समाज के सभी कार्यक्रम की शुरुआत गायत्री महामंत्र से की जाती है। जिसमें ज्ञान और बुद्धि की कामना की गई है। ज्ञान और बुद्धि न हो तो मनुष्य अज्ञानता में ही रहेंगे। ज्ञान शुद्ध होगा तो कर्म भी शुद्ध होगा। उक्त बातें आर्य समाज के वैदिक पुरोहित विद्यानिधि आर्य ने रविवार को आर्य समाज मंदिर चपरी में सार्वजनिक रूप से आयोजित साप्ताहिक वैदिक हवन यज्ञ के पश्चात प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण आप्त पुरुष थे। अर्थात जिसका ज्ञान ठीक-ठीक हो। उन्हें आप्त पुरुष कहा जाता है। तर्क और प्रमाण के आधार पर ही ज्ञान को ठीक और शुद्ध कहा जा सकता है। जो शास्त्र अनुकूल बात करता है। उसी का ज्ञान सही हो सकता है। विद्यानिधि ने कहा कि पढ़ाई...