पटना, जुलाई 12 -- बिहार में सहकारी समितियों से लिए गए धान की मिलिंग दर 12 वर्ष पुरानी है। यह खर्च की तुलना में कम है। इसलिए मिलर धान कूटने में आनाकानी करते हैं। इससे खाद्य निगम के गोदामों में चावल जमा करने में देरी होती है। अब सहकारिता विभाग ने मिलिंग दर के पुनर्निधारण के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। सहकारिता विभाग ने केंद्र को दर के पुनर्निधारण का प्रस्ताव भेजा है। सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार ने भी सहकारिता सम्मेलन के दौरान और केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात में मिलिंग दर के पुनर्निधारण की मांग की है। दरअसल, मिलिंग सहित अन्य खर्चों की दर वर्ष 2012 में तय हुई थी। उस समय अधिप्राप्ति में अरवा चावल की मिलिंग दर 10 रुपये प्रति क्विंटल और उसना चावल की दर 20 रुपये प्रति क्विंटल तय हुई थी। इसके अलावा समितियों का कमीशन 31.25...