मुजफ्फर नगर, जून 18 -- श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र वहलना में भावलिंगी संत श्रमणाचार्य श्री 108 विमर्श सागर जी महामुनिराज ने विशाल समूह में उपस्थित धर्मात्मा श्रावक-श्राविकाओं को विचार व्यक्त करते हुए कहा कि धरती पर वही धर्म जीवित रह पाता है जिस धर्म की क्रिया समीचीन रूप से पालन की जाती रहे। आचार्य प्रवर ने कहा कि बन्धुओं संसारी जीवों को अपने द्वारा किये गये कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है। किन्तु पूर्व में बाँधे हुये कर्मों की शीघ्रातिशीघ्र निर्जरा यदि आपकों करनी है तो एक जिनेन्द्र भगवान की भक्ति ही है जो आपके कठिन से कठिन कर्म बन्धन को भी नष्ट कर देती है। सर्वप्रथम भगवान के सम्मुख चित्र अनावरण प्रवीण जैन, राजेश जैन एवं सतीशचंद जैन, रेनू जैन द्वारा किया गया। दीप प्रज्ज्वलन संजीव जैन गर्ग, मदन लाल, मनोज कुमार, विपिन कुमार जैन परिवार द्वा...