जमशेदपुर, दिसम्बर 23 -- ्धरती पर जब-जब धर्म की हानि होती है और ब्राह्मणों व संतों का तिरस्कार होता है, तब-तब अधर्म के नाश के लिए भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। सोनारी के कैलाश नगर स्थित गीता भवन में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन व्यासपीठ से आचार्य रविकांत वत्स ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु के अंश के रूप में भगवान राम का अवतरण भी इसी उद्देश्य से हुआ था। आचार्य रविकांत ने ताड़कासुर प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि राक्षस ताड़कासुर ने भगवान शिव की घोर तपस्या कर यह वर प्राप्त किया था कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शिव या उनके अंश से ही हो। वरदान के बाद ताड़कासुर का आतंक पूरे ब्रह्मांड में फैल गया और देवता त्राहिमाम करने लगे। इंद्र का सिंहासन डोलने पर भगवान शिव को विवाह के लिए प्रेरित करने हेतु रति और कामदेव को...