नवादा, अक्टूबर 26 -- नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। लोकतंत्र में धर्म और राजनीति का सम्मिश्रण एक अत्यंत संवेदनशील और बहुआयामी मुद्दा है। सैद्धांतिक रूप से धर्म व्यक्तिगत आस्था और नैतिकता का विषय है, जबकि राजनीति लोक-कल्याण और शासन-प्रणाली का। हालांकि, व्यावहारिक धरातल पर, धर्म एक शक्तिशाली सामाजिक शक्ति है, जिसका प्रयोग राजनीतिक लाभ के लिए व्यापक रूप से किया जाता रहा है। राजनीति में धर्म का इस्तेमाल प्रायः भावनात्मक लामबंदी के रूप में होता है, जो चुनावी समर्थन जुटाने और एक विशिष्ट वोट बैंक को मजबूत करने का सबसे सरल माध्यम है। धार्मिक पहचान को प्रमुखता देकर, राजनीतिक दल जटिल सामाजिक-आर्थिक मुद्दों से ध्यान भटकाते हैं और ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं। यह प्रक्रिया अक्सर सांप्रदायिक राजनीति को जन्म देती है, जिससे समाज में विभाजन और तनाव बढ़ता ...