रांची, जून 28 -- रांची, वरीय संवाददाता। आचार्य देवप्रकाशनंद अवधूत ने कहा कि मानव के अस्तित्व के लिए जो विशेष गुण हैं, वही जीव का प्राण धर्म है। यह व्यक्ति का हो सकता है। साथ ही यह समूह, देश या पूरे विश्व का भी हो सकता है। अध्यात्म आधारित अंतर्मुखी जीवन धारा ही भारत का प्राण धर्म है। आचार्य जागृति भवन, हेसल में शनिवार को आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य प्रशिक्षक प्राण धर्म विषय पर बोल रहे थे। आचार्य ने कहा कि पूरे विश्व में प्राण धर्म को स्थापित करने की जरूरत है। आनंद मार्ग समग्र विश्व में प्राण धर्म की प्रतिष्ठा चाहता है। समग्र विश्व के प्राण धर्म की विवेचना कर आनंद मार्ग श्रुति शास्त्र, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र और अर्थनीतिक दर्शन की रचना हुई है। सेमिनार में दैनंदिन जीवन में पालनीय 16 सूत्र पर आचार्य अनुराग आनंद अवधूत ने विस्तृत चर्चा की। ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.