प्रयागराज, नवम्बर 18 -- स्वराज विद्यापीठ व समानांतर इलाहाबाद की ओर से आयोजित दस दिवसीय रंगमंच कार्यशाला के आठवें दिन साहित्यकार धर्मवीर भारती और उनके महत्वपूर्ण नाटक अंधायुग पर केंद्रित विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। विद्यापीठ के परिसर में मुख्य वक्ता प्रो. बसंत त्रिपाठी ने कहा कि धर्मवीरजी को याद करना अपने समय की सक्रियता को याद करना है। अंधायुग केवल एक नाटक नहीं बल्कि चौथे और पांचवें दशक के व्यर्थता बोध से उपजा एक गहन वैचारिक हस्तक्षेप है। युद्ध व विनाश की पृष्ठभूमि पर आधारित इस नाटक में मनुष्यता की हार व युद्ध की अमानवीयता को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि नाटक केवल नाटकीय संरचना तक सीमित नहीं रहना चाहिए। उसे समय, समाज और दृष्टि के नए आयामों को भी अभिव्यक्त करना चाहिए। कार्यशाला के निर्देशक ...