छपरा, नवम्बर 3 -- डोरीगंज, एक संवाददाता। गंगा, सरयू व सोन महानद के संगम पर स्थित चिरांद चतुष्टय पुरूषार्थ प्रदान करने वाला परम तीर्थ है। इस पावन भूमि पर भारत के सुविख्यात संत श्रीश्री 1008 मौनी बाबा ने कार्तिक मास में यज्ञ का अनुष्ठान किया है। यज्ञ स्थल पर आए भक्तजनों के बीच सोमवार को अपने प्रवचन में स्वामीजी ने कहा कि भारत की संस्कृति का आधार यज्ञ है। जिसमें देव पूजन, दान और सामाजिक एकत्रीकरण तीन कार्य प्रमुख होते हैं। देव-ऋषियों के आह्वान एवं आहुति के साथ ही यज्ञ स्थल पर होने वाले संत समागम की ज्ञानाग्नि में अविद्या एवं अज्ञानता रूपी अंधकार का भी नाश होता है। चिरांद भारत की यज्ञ संस्कृति की आदि भूमि है, इसकी कृपा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति होती है। यज्ञ के तीसरे दिन सोमवार को भक्तों के बीच स्वामीजी ने कहा कि भ...