नवादा, अक्टूबर 9 -- 1.नवादा की ऐतिहासिक धरोहरें हमारी पहचान हैं, लेकिन इनका हाल अत्यंत दयनीय है। प्रशासन और समाज दोनों की संवेदनहीनता ने इन्हें खंडहर बना दिया है। इंटैक के प्रयास जारी हैं। यदि अभी ठोस पहल नहीं हुई तो आने वाली पीढ़ियां केवल तस्वीरों में इन्हें देखेंगी। - डॉ.(प्रो.) बच्चन कुमार पांडेय, कन्वेनर, इंटैक नवादा चैप्टर। 2.बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ने के लिए धरोहरों का संरक्षण जरूरी है। दुर्भाग्य से आज ये जगहें उपेक्षित हैं। स्कूलों और कॉलेजों को भी इसमें भूमिका निभानी चाहिए ताकि सांस्कृतिक चेतना बढ़े। इसके बिना जिले की पहचान भी अक्षुण्ण नहीं रह पाएगी। -फिरोज खान, प्रबुद्ध नागरिक, नवादा। 3.धरोहरों की सुरक्षा केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, जनसहभागिता से ही इन्हें बचाया जा सकता है। नवादा में इक्का-दुक्का कार्यरत संस्थाएं हैं, पर संस...