विशेष संवाददाता, जून 29 -- धन की तीन ही गति होती है। या तो दान करो, वह आपको यशस्वी बनाएगा। स्वयं भोग करो, कुछ देर के लिए चलने लायक बनाएगा बाद में शुगर से ग्रसित कर देगा और अन्यथा गलत तरीके से जब धन का अर्जन होता है तो वह नाश का कारण भी बनता है जैसे आपने माफियाओं के नाश को देखा होगा। दानम्, भोगम् और नाशः, यह धन की तीन गति है। दान, देश-काल और पात्र को देखकर होना चाहिए। हमारे पूर्वजों ने भारतीय मनीषा में दान के लिए भी कुछ बातें कही हैं। देश-धर्म-लोककल्याण-गरीब कल्याण के लिए किया जाने वाला दान हमेशा सार्थक होता और व्यक्ति को, पीढ़ी को यशस्वी बनाता है। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दानवीर भामाशाह की जयंती और व्यापारी कल्याण दिवस की पूर्व संध्या पर लोकभवन में आयोजित समारोह में कहीं। उन्होंने दानवीर भामाशाह के आदर्शों को अपनान...
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