एटा, सितम्बर 24 -- जनकपुर में प्रभु श्रीराम नगर भ्रमण करने निकल पड़े। आगे देखते हैं जनक नंदिनी सीता मंदिर में गौरी पूजन कर रही है। तभी एक-दूसरे की नजर आपस में पड़ी। मन ही मन आकर्षित होने लगे। उधर मिथिला के राजा जनक ने सीता के स्वयंवर की घोषणा करवा दी। उनकी शर्त थी जो भी शिव धनुष को तोड़ेगा। दूर-दूर के राजा सीता के स्वयंवर में आए। सभी राजाओं ने धनुष एक-एक करके तोड़ने का प्रयास किया। कोई भी राजा उसे तनिक हिला भी न सका। अंत में भगवान श्रीराम ने एक ही बार में धनुष को तोड़ दिया। राम की जय जयकार होने लगी। सीता ने श्रीराम के गले में जयमाला डाल दी। दोनों का बड़े ही धूमधाम से विवाह हुआ। जब परशुराम ने अपने गुरु महादेव के धनुष के टूटने की आवाज सुनी। वह क्रोधित हो गए। रामलीला में भक्तजनों में अध्यक्ष अखंड प्रताप सिंह, प्रबंधक राधा मोहन दुबे, महामंत्र...