नई दिल्ली, अगस्त 14 -- नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से पहले निचली अदालत द्वारा आरोपियों की सुनवाई के अधिकार को बरकरार रखा है। यह आदेश धनशोधन के एक मामले में लक्ष्य विज और नौ अन्य आरोपियों द्वारा दायर याचिकाओं पर आया। न्यायमूर्ति रविन्द्र डुडेजा की पीठ ने संज्ञान लेने से पहले सुनवाई के अधिकार को लागू करने की मांग वाली दस याचिकाएं स्वीकार कर ली हैं। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने भी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा 223 के तहत प्रावधान को बरकरार रखा था। बीती 9 मई को कुशल कुमार अग्रवाल की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि हम अपीलकर्ता को 14 जुलाई को विशेष न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश देते हैं, ताकि उसे बीएनएसएस की धारा 223 की उप-धारा (1) के ...