गंगापार, अक्टूबर 13 -- तिलई बाजार के पूरे फौजशाह आदिवासी का परिवार झाड़ू बनाकर जीवन यापन कर रहा है। दीपावली से पहले धनतेरस पर झाड़ू की बढ़ती मांग के कारण उनके रोजगार में वृद्धि हुई है। 30 वर्षीय मोनू आदिवासी पुत्र पप्पू अपने पांच सदस्यीय परिवार के साथ प्रतिदिन लगभग 100 झाड़ू बनाते हैं। यह पहले परिवार बहरिया विकासखंड के अंतर्गत आता है। झाड़ू बनाने के लिए खजूर के पत्ते जंगलों से काटकर लाते हैं। इसके लिए पेड़ मलिक को 100 से 200 देने पड़ते हैं । यह कभी-कभी कुछ लोगों के लिए 5 से 10 झाड़ू के बदले पेड़ की पत्तियां काटने के लिए दे देते हैं। एक झाड़ू की कीमत 10 मिलती है और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग झाड़ू के बदले गेहूं चावल भी दे देते हैं। मोनू ने बताया कि धनतेरस के दौरान झाड़ू की मांग बढ़ने से उन्हें काम मिलता है।लेकिन इसके बाद मेहनत मजदूरी करने क...
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