रांची, फरवरी 17 -- नामकम, संवाददाता। टाटीसिलवे के ईईएफ मैदान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को कथा व्यास पूज्य इंद्रेशजी उपाध्याय ने कई महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन किया। कथा व्यास ने द्रौपदी की क्षमा, ठाकुरजी की कृपा और कुंती के भक्तिभाव का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार अश्वत्थामा ने प्रतिशोध की भावना में आकर द्रौपदी के पांच पुत्रों का वध कर दिया। जब अर्जुन को इस घटना का पता चला तो उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि वह अश्वत्थामा को जीवित नहीं छोड़ेंगे। लेकिन इसी कठिन परिस्थिति में द्रौपदी ने अपने अद्भुत धैर्य और क्षमाभाव का परिचय देते हुए तर्क दिया कि वह गुरु पुत्र है जिनसे हमने शिक्षा पाई है। इन्हें मारने से हमारे पुत्र वापस नहीं आ सकते। द्रौपदी की इस महानता से ठाकुरजी प्रसन्न हुए और उन्होंने द्रौपदी से अपना न...