कौशाम्बी, जून 27 -- मोहर्रम की दो तारीख पर मनौरी गांव स्थित पंचायती बड़ा इमामबाड़ा कलां में मजलिस का आयोजन किया गया। मजलिस को खिताब करते हुए गोरखपुर से आए मौलाना जफर अब्बास ने कहा कि दो मोहर्रम के दिन ही इमाम हुसैन का काफिला करबला पहुंचा था, जिसमें बुढ़े, बच्चे, औरतें और जवान शामिल थे। उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन का मकसद यजीद से जंग करना नहीं था बल्की इस्लाम मजहब का सही संदेश देना था, जो उनके नाना हजरत मोहम्मद (स.अ) ने दिया था। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नए साल की शुरुआत मोहर्रम के महीने से होती है। शिया मुसलमानों के लिए ये महीना बेहद गम भरा होता है। जब भी मोहर्रम की बात होती है तो सबसे पहले जिक्र कर्बला का किया जाता है। आज से लगभग साढ़े 1400 साल पहले तारीख-ए-इस्लाम में कर्बला की जंग हुई थी. ये जंग जुल्म के खिलाफ इंसाफ के लिए लड़ी गई थी. इस जं...
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