बागेश्वर, मार्च 22 -- दो भाई और मां को खोने का गम रणकुणी की ज्योति सहन नहीं कर पाई। पांच महीने से वह अवसाद में थी। अपनों को खोने का गम किशोरी सहन नहीं कर पाई और उसने शुक्रवार की रात फांसी का फंदा लगाकर जीवन लीला समाप्त कर दी। दो पुत्रों और पत्नी और अब बेटी को खोने के बाद अकेले रह गए पिता नारायण गिरी पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। गांव के लोग उन्हें ढांढ़स बंधाने पहुंच रहे हैं पर पिता गुमसुम हैं। मालूम हो कि गरुड़ तहसील के रणकुणी गांव में नारायण गिरी का हंसता खेलता परिवार था। परिवार में पत्नी मुन्नी देवी, दो बेटे विनोद गिरी और जीवन गिरी के अलावा दो बेटियां ज्योति और एक बड़ी बेटी थी। गत वर्ष धनतेरस पर पूरा परिवार बिखर गया। गांव के ही एक व्यक्ति ने उनके घर में घुसकर सिलेंडर में आग लगाकर दरवाजा बंद कर दिया था। इस अग्निकांड में नारायण गिरी की प...