नई दिल्ली, अक्टूबर 28 -- कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को 'गोपाष्टमी' के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह 30 अक्तूबर को है। इस दिन भगवान वासुदेव ने गोचारण की सेवा प्रारंभ की थी। इसके पूर्व वे केवल बछड़ों की देखभाल करते थे। कथा है कि बालक कृष्ण पहले केवल बछड़ों को चराने जाते थे और उन्हें अधिक दूर जाने की भी अनुमति नहीं थी। एक दिन कृष्ण ने मां यशोदा से गायों की सेवा करने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि मां मुझे गाय चराने की अनुमति चाहिए। उनके अनुग्रह पर नंद बाबा और यशोदा मैया ने शांडिल्य ऋषि से अच्छा समय देखकर मुहूर्त निकालने के लिए कहा। ऋषि ने गाय चराने ले जाने के लिए जो समय निकाला, वह गोपाष्टमी का शुभ दिन था। यशोदा मैया ने कृष्ण को अच्छे से तैयार किया। उन्हें बड़े गोप-सखाओं जैसे वस्त्र पहनाए। सिर पर मोर-मुकुट, पैरों में पैजनिया पहनाई, परं...
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