गया, मई 21 -- छह दिन बाद वट सावित्री पूजा है। शुद्ध अमावस्या में वट सावित्री पूजा करना उत्तम और विशेष फलदायक होता है। इस बार अमावस्या दो दिन के फेर में फंसा है। 26 और 27 मई दोनों दिन अमावस्या है। 26 मई की दोपहर बाद से शुरू होकर 27 मई की सुबह तक है। पंचागों के अनुसार 26 मई की सुबह 10:30 से लेकर 12 बजे के बीच अमावस्या शुरू होगी। 27 मई की सुबह 8:30 बजे तक रहेगी। 26 की सुबह तो चतुदर्शी होगी और 27 मई की सुबह अमावस्या है। इसलिए उदयातिथि व शुद्ध अमावस्या को लेकर 27 मई को वट सावित्री पूजन विशेष फलदायक होगा। 26 मई को नहाय-खाय। हृषीकेश व महावीर के अनुसार 26 की सुबह 10:54 से लेकर 27 की सुबह 8:32 तक अमावस्या आचार्य नवीनचंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि शुद्ध अमावस्या में वट सावित्री पूजा होती है। औदयिक अमावस्या में सुबह से वट पूजन करना उत्तम होता है। बता...