नई दिल्ली, अक्टूबर 28 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उन याचिकाओं पर नोटिस जारी किया है, जिनमें दुष्कर्म और हत्या के मामलों में बरी किए जाने के बाद मुआवजा देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें झूठे मामलों में गिरफ्तार कर वर्षों तक अवैध रूप से जेल में रखा गया, इसलिए सरकार को मुआवजा देना चाहिए। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने इस मामले में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की सरकारों तथा अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करते हुए 24 नवंबर तक जवाब मांगा है। इसके साथ ही, अदालत ने अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल से मामले में सहायता करने का अनुरोध किया है। याचिकाओं में कहा गया है कि केवल जेल से रिहा करना किसी निर्दोष व्यक्ति के साथ हुए अन्याय को दूर नहीं करता। राज्य को उन वर्षों क...