हाथरस, अक्टूबर 2 -- हाथरस। देशभर में जहां विजयदशमी के मौके पर जगह जगह रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। वहीं देश एक कस्बे में करीब दो सौ साल पुरानी परंपरा के तहत रावण दहन नहीं होता है। हाथरस जिले के सहपऊ में चैत्र नवरात्र में रामलीला होती है। उसके बाद असत्य पर सत्य की विजय का पर्व उल्लास के साथ मनाया जाता है। सालों तक कस्बे के लोगों ने रामलीला में खुद मंचन किया। अब बाहर से मंडली आकर चैत्र नवरात्र में रामलीला करती है। उसके बाद दशमी को रावण दहन होता है। चैत्र मास में रावण दहन की परंपरा अपना एक इतिहास रखती है। दो सौ साल पहले कस्बा में रावण दहन नहीं होता है। वहां एक बीमारी फैली थी। उसमें सैंकड़ों लोग चपेट में आए थे।विद्वानों ने रावण दहन न होने की बात कही। इसके बाद कस्बे के लोगों ने रावण दहन न होने से निकला। इसके बाद तभी से चैत्र नवरात्र की दशम...