नई दिल्ली, मई 17 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रोहिंग्या मुस्लिमों के कथित निर्वासन को रोकने के लिए बार-बार दाखिल की जा रही जनहित याचिकाओं (PIL) पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि बिना नए तथ्यों के एक ही मुद्दे पर बार-बार याचिका दायर नहीं की जा सकती। यह टिप्पणी उस समय आई जब वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने 8 मई के फैसले को संशोधित करने की मांग की। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 8 मई को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि रोहिंग्या, जो भारत के नागरिक नहीं हैं, उन्हें देश में कहीं भी रहने का अधिकार नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उस समय कहा था कि भारत शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है और UNHCR द्वारा रो...