गंगापार, अप्रैल 22 -- कोरांव/ गिरगोठा हिन्दुस्तान संवाद। सोमवार के बाद मंगलवार का पारा भी शाम चार बजे तक दहकता रहा। दोपहर होते ही कोरांव और आसपास के बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। लोग घरों में दुबके रहे। निकलने पर ऐसा लगता था कि चेहरा और शरीर झुलस जाएगा। गनीमत यह रही कि पछुआ हवा का प्रभाव था। यदि कहीं पुरवैया हवा की चिपचिपाती गर्मी होती तो जीना मुश्किल हो जाता है। कोरांव, लेड़ियारी, खीरी और बड़ोखर बाजारों की सड़कें बारह बजे के बाद लगभग सूनी हो गई। इक्का दुक्का लोग जरूरी कार्य के कारण सड़क से गुजरते नजर आए। एक बजे स्कूलों से निकलती लड़किया और महिलाएं मुंह पर दुपट्टा बांधे निकलती दिखाई दीं।
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