महाराजगंज, मार्च 21 -- अड्डा बाजार, हिन्दुस्तान संवाद। आज शाम दिन ढलते ही पवित्र माह रमजान का दूसरा असरा रुख्सत हो जायेगा और तीसरे असरे की आमद होने के पहले ही मस्जिदों में एतकाफ बैठना शुरू हो जाएंगे। मौलाना अन्सारूल हक कासमी का कहना है कि तीसरे असरे को जहन्नम से निजात का असरा कहा जाता है। लोगों को अपनी चौखट छोड़कर आखिरी असरे की इबादत के लिए अल्लाह की चौखट पर नियत कर एतकाफ के रूप में दस्तक देनी चाहिए और इसी असरे में 21, 23, 25, 27 व 29 की रात में रतजगा कर शबे कद्र की तलाश करनी चाहिए। कहा कि इन्हीं रातों में से कोई एक रात शबे कद्र की होती है। जो लाखों रातों से अफजल होती है। मस्जिद में इन्सान जब एतकाफ बनता है तो उसे तन्हाई मिलती है और तन्हाई की इबादत उसके रूहानी कुव्वत बख्शती है। माह-ए-रमजान में एतकाफ का बड़ा अहमियत है। एतकाफ करने वालों को द...