नई दिल्ली, नवम्बर 5 -- केरल हाई कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि कोई भी मुस्लिम शख्स तब तक दूसरी शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं करवा सकता, जब तक कि उसकी पहली बीवी उस अपर अपनी अनापत्ति ना दे दे। यानी अगर पहली बीवी अपने शौहर के दूसरे निकाह पर आपत्ति करती है तो वह निकाह का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता। हाई कोर्ट ने हालांकि, माना कि मुस्लिम समुदाय के बीच बहुविवाह की प्रथा है, बावजूद इसके दूसरी शादी का रजिस्ट्रेशन ऐसी स्थिति में नहीं हो सकता। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने अपने आदेश में दो टूक कहा कि केरल विवाह पंजीकरण (सामान्य) नियम, 2008 के तहत किसी मुस्लिम पुरुष का दूसरा विवाह उसकी पहली पत्नी को सूचित किए बिना और उसकी सुनवाई के बिना पंजीकृत नहीं किया जा सकता। जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा कि यद्यपि मुस्लिम पर्सनल लॉ एक पुरुष को कई पत्नियाँ रखने की अनुमति देता...