कोच्चि, नवम्बर 26 -- केरल हाईकोर्ट ने हाल ही के एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि एक मुस्लिम पति अपनी पहली पत्नी को गुजारा भत्ता देने से केवल इस आधार पर नहीं बच सकता कि उसकी दूसरी पत्नी भी है या कि उसका बेटा पहली पत्नी की आर्थिक मदद कर रहा है। अदालत ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत बहुविवाह की अनुमति तो है, लेकिन यह सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में ही संभव है और पति को सभी पत्नियों के साथ समान और न्यायपूर्ण व्यवहार करना होगा।एक विवाह नियम है, बहु-विवाह अपवाद- कोर्ट बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति कौसर एडप्पगथ ने अपने फैसले में टिप्पणी की कि मुस्लिम कानून के अनुसार एक से अधिक विवाह कोई अधिकार नहीं बल्कि एक अपवाद है। विवाह में बराबरी का अर्थ केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक समानता भी है। यदि कोई व्यक्ति सभी पत्नियों के...