शैलेन्द्र सेमवाल, दिसम्बर 3 -- उत्तराखंड में एक और केदारनाथ जैसी त्रासदी का डर पैदा हो गया है। वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने हाल ही में अध्ययन में पाया कि टिहरी में घनसाली के हिमालयी क्षेत्र में दूधगंगा ग्लेशियर पिघलने से बन रही भिलंगना झील का आकार लगातार बढ़ रहा है। 1980 के करीब अस्तित्व में आई झील महज 45 साल में 1.204 किलोमीटर और चौड़ाई 528 मीटर लंबी हो चुकी है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि झील में 10 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी है। 4750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित झील को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी ने भी सर्वाधिक खतरनाक श्रेणी में शामिल किया है। यदि झील को नुकसान पहुंचता है तो निचले इलाकों में आबादी और संसाधन बुरी तरह प्रभावित होंगे। यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में ड्राइवर पिता की संतान का कमाल, पूरे देश में रोशन किया गांव का नाम यह भी प...