गया, मार्च 2 -- दुष्कर्म और हत्या की शिकार हुई शेरघाटी की एक दलित मासूम बच्ची के परिजनों को छह माह का लंबा अर्सा गुजर जाने के बावजूद राशन कार्ड और पक्के मकान तक की सुविधा नहीं मिल सकी। मजदूरी पर आश्रित दिवंगत दलित-पीड़ित बच्ची का परिवार शेरघाटी के एक गांव में अब भी बगैर दरवाजा-चौखट वाले कच्चे झोपड़ीनुमा मकान में रहता है। बगैर चौखट-किवाड़ और चहारदीवारी वाले घर के आंगन से ही पिछले साल सितम्बर की पहली तारीख को बदमाश इस मासूम को आधी रात के समय घर से उठा ले गए थे। बाद में पास से गुजरने वाली नदी के तट से बच्ची का शव मिला था। दुख भरे इस हादसे के बाद सहायता-सुविधा मिलना तो दूर इस परिवार की सुध लेने में विधायक-सांसद जैसे राजनीतिक पदधारकों और पावरफुल अधिकारियों ने भी कोई रूचि नहीं ली। कागजात जुटाना पड़ रहा मुश्किल नतीजा है कि छह महीने गुजर जाने के बावज...