नई दिल्ली। पीटीआई, फरवरी 11 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने कथित बलात्कार के मामले में सोमवार को एक व्यक्ति को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि बलात्कार व सहमति से बने शारीरिक संबंधों के बीच अंतर करना जरूरी है। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि जहां कार्यबल में महिलाओं की सुरक्षा और कल्याण के लिए कानून बनाना और उन्हें लागू करना विधायिका और कार्यपालिका का कर्तव्य है, वहीं कोर्ट का "प्रहरी" बनना और इसके दुरुपयोग को रोकना "कठिन कर्तव्य" है। अदालत ने कहा, ''वर्तमान समय में, कई बार कार्यस्थल पर निकटता के कारण सहमति से संबंध बनते हैं, जो खराब होने पर अपराध के रूप में रिपोर्ट किए जाते हैं, इसलिए बलात्कार के अपराध और दो वयस्कों के बीच सहमति से बने यौन संबंध के बीच अंतर के प्रति सचेत होना उचित है।'' यह भी पढ़ें- भाई-बहन को भी मुश्किल में एक-दूसरे का साथ देने का...
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